Thursday, March 28, 2024

Top 5 This Week

spot_img

Related Posts

12 घंटे बाद मलबे से जिंदा निकलीं शाहजहां:बोलीं- अंदर सिर्फ अंधेरा और धूल, चीख-चीखकर बेहोश हो गई; जिंदा बचूंगी सोचा नहीं था

लखनऊ बिल्डिंग हादसे में मलबे में दबे 14 लोगों को अब तक निकाला जा चुका है। 12 घंटे बिल्डिंग में दबी रही शाहजहां बानो को बुधवार सुबह रेस्क्यू टीम ने निकाला। वह बेहोशी की हालत में थीं। सिविल अस्पताल में होश आया तो फूट-फूटकर रोने लगीं। एक ही बात बार-बार कह रही थीं, सोचा नहीं था कि जिंदा बच पाऊंगी।

शाहजहां ने बताया कि बिल्डिंग गिरने के बाद वह बेहोश हो गई थीं। होश आने पर जोर-जोर से चिल्लाईं लेकिन किसी ने उनकी आवाज नहीं सुनी। देर रात जब उन्हें दूसरे फ्लोर की छत तोड़ निकाला गया, तब उन्होंने राहत की सांस ली।

बिल्डिंग के फ्लैट नंबर-301 में रंजना और उनकी बेटी आलोका भी रहती थीं। करीब 7 घंटे बाद उनको मलबे से बाहर निकाला गया। रोते हुए कहती हैं, वह 7 घंटे हम कैसे जिंदा रहे। उसे बता नहीं सकती हूं।

शाहजहां बानो अलाया अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर-404 में हनि हैदर के यहां खाना बनाती हैं। शाहजहां बानो को बिल्डिंग गिरने के 12 घंटे बाद रेस्क्यू किया गया। सिविल अस्पताल में दर्द से तड़प रही शाहजहां ने बताया, “हम किचन में चाय बना रहे थे। गैस जल रही थी। अचानक बिल्डिंग से चट-चट की आवाज आने लगी। फिर बिल्डिंग टेढ़ी हो गई और गिरने लगी। छत हम पर गिर गई। हम लोग उसी में फंसे रह गए। मलबे में दबे-दबे सांस फूलने लगी थी। लगने लगा था कि अब जिंदा नहीं बच पाउंगी।”

शाहजहां ने बताया, “अंदर चारों तरफ अंधेरा था। कुछ याद ही नहीं आ रहा था। क्या हो गया। कैसे हो गया। धूल ही धूल भरी हुई थी। जिंदा बचने की उम्मीद ही नहीं थी। शुरू में चिल्लाई, लेकिन फिर थककर बेहोश हो गई। जब होश आया तो कुछ आवाजें आ रहीं थीं। मैं फिर से चीखने लगी। शायद रेस्क्यू टीम ने मेरी आवाज सुन ली। इसके बाद मुझे बाहर निकाला।”

ट के फ्लैट नंबर-301 में रहने वाली रंजना अवस्थी और उनकी बेटी आलोका अवस्थी को रात 1 बजे रेस्क्यू किया गया। दोनों को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। रंजना रोती हुई कुछ कहती हैं। फिर चुप होकर दोबारा कहती हैं, “मैं दफ्तर से लौटकर शाम 6 बजे घर पहुंची। वो बेटी आलोका की साथ ड्राइंगरूम में चाय पी ही रही थीं, तभी अचानक बिल्डिंग हिलने लगी। देखते ही देखते लाइट चली गई। मैं और मेरी बेटी दरवाजे की तरफ भागीं…लेकिन तभी भराभराकर बिल्डिंग गिर गई।”

“अगले साल मेरा रिटायरमेंट होने वाला था। सोचा था बेटी की शादी धूमधाम से करूंगी, लेकिन सब बर्बाद हो गया। जिंदगी भर की कमाई एक झटके में राख हो गई। यह सब लापरवाही से हुआ है। बेसमेंट में ड्रिलिंग से पूरी बिल्डिंग हिलती थी।”

वह कहती हैं, “इमारत की 3 फ्लोर की ही रजिस्ट्री होनी थी। जबकि पांचवी मंजिल तक लोग रहते थे। इमारत का पेंटहाउस भी गलत तरीके से बनाया गया। बीते 4 दिनों से बिल्डर बेसमेंट में ड्रिलिंग करवा रहा था। ड्रिलिंग इतनी तेज होती थी कि लोगों के फ्लैट की खिड़कियां हिलने लगती थीं।”

बिल्डिंग में रहने वाले लोगों ने आरोप लगाया कि मेरठ के शाहिद मंजूर ही अपार्टमेंट में पेंटहाउस बनवा रहा था। वो इमारत के बेसमेंट में पाइप डलवा रहा था, तभी ये हादसा हो गया। सोसाइटी के लोगों ने कई बार इसका विरोध भी किया, लेकिन बिल्डर नहीं माना।

‘जब बिल्डिंग गिरी, मेरा 6 साल का बच्चा टीवी देख रहा था’
अलाया अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 401 में जीशान हैदर का परिवार रहता है। हादसे के वक्त उनकी पत्नी, 6 साल का बेटा, अम्मी और अब्बू बिल्डिंग में ही मौजूद थे। सुबह 6 बजे तक हुए रेस्क्यू में सिर्फ 80 साल के उनके अब्बू अमीर हैदर और उनके बेटे मुस्तफा को बाहर निकाला जा सका है।

बुधवार 10 बजे के करीब हैदर की मां का भी रेस्क्यू किया गया है। पत्नी अभी भी इमारत के मलबे में दबी हुई हैं। जीशान के भाई मैराज हैदर कहते हैं अस्पताल में भर्ती भतीजा मुस्तफा ने बताया कि साढ़े 6 बजे वह टीवी देख रहा था, जब बिल्डिंग नीचे गिरने लगी। वो दौड़कर अम्मी के पास पास जाना चाहता था, लेकिन मलबे में ही दब गया।

अलाया अपार्टमेंट के बगल वाली बिल्डिंग में रहने वाली भावना हादसे के बाद वहां पहुंची। दैनिक भास्कर के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि पहले हमें लगा कि ये बिल्डिंग भूकंप की वजह से हिली है। लेकिन वो कुछ देर में ही गिर गई, बहुत तेज आवाज हुई। हमारी बिल्डिंग तक हिल गई। 20 सेकंड लगे होंगे, हम दौड़ते हुए इस तरफ आए। यहां धूल का गुबार था। कुछ दिखा ही नहीं। मेरे पति भी हमारे साथ थे। हम मलबे के करीब गए, तो किसी महिला के रोने की आवाज आ रही थी। तब हमने भी कुछ मलबा हटाने की कोशिश की, मगर हम नहीं हटा पाए। हेल्पलाइन पर कॉल किया। फिर कुछ देर में बाकी लोग आ गए। लोगों को बचाया जाने लगा।

बिल्डिंग गिरने के बाद अस्पताल पहुंचने तक बेहोश रहा
अलाया अपार्टमेंट के चौधे फ्लोर पर BHL से रिटायर्ड ऑफिसर यूसूस खान का फ्लैट था। शाम के वक्त वो अपनी पत्नी के साथ बैठे थे। तभी अचानक इमारत भरभराकर ढह गई। यूसूस ने बताया, ” मैं घर पर बैठा टीवी देख रहा था तभी बिल्डिंग गिर गई। इसके बाद मुझे जब होश आया तब मैं अस्पताल में स्ट्रेचर पर लेटा था।”

उन्होंने ने बताया कि बड़ी रकम अदा कर यहां रहने आए थे। पता नहीं था कि 4 साल में ही सब बर्बाद हो जाएगा। ये भी पता नहीं कि घर पर रखा कीमती सामान अब बचा भी होगा या नहीं।

सिविल अस्पताल में भर्ती मरीज

  • मोहम्मद खान – 59 साल पुरुष
  • आफरीन फातिमा – 32 साल महिला
  • नसरीन – 52 साल महिला
  • शाहजहां – 50 साल महिला
  • आलोका अवस्थी – 30 साल महिला
  • रंजना अवस्थी – 58 साल महिला
  • मुस्तफा हैदर – 6 साल पुरुष
  • अमीन हैदर – 86 साल पुरुष
  • अशलय बर्न – 70 साल पुरुष – यह डिस्चार्ज हो गए

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular Articles